
क्या है कैंसर ?
कैंसर एक बेकाबू व शरीर में हद से ज्यादा कोशिकाओं के अधिक बढ़ने वाली घातक बीमारी है। यह एक जानलेवा बीमारी है |आज बदलती जीवन शैली में जहां ऐशो आराम की हर वस्तु उपलबध है वहीं इन सुविधाओं की वजह से मनुष्य पर इसका गलत प्रभाव पड़ रहा है। हाल ही में हुए शोध में इस बात का पता चला है कि लंबे समय तक एक जगह पर बैठे रहने से लोगों में कैंसर पैदा हो रहा है। जिसके कारण वह गंभीर बीमारियों से घिरता जा रहा है। कहते हैं जानकारी ही बचाव है। समय रहते ही जानकारी मिल जाए तो कोई भी बड़ी बीमारी आपको छू भी नहीं सकती | कैंसर की बीमारी को सुनकर हर किसी को डर लगता है और कैंसर से लड़ना इतना आसान भी तो नहीं है। एक ही जगह पर ज्यादा देर तक बैठने से शरीर की चर्बी और मोटापा बढ़ता है। और मोटापे से कैंसर होने की संभावना अधिक रहती है।
कैंसर के लक्षण
- मुंह के अंदर छालों का होना, लाल , भूरे या सफ़ेद धब्बो का पाया जाना, पूरी तरह से मुंह का न खुलना ।
- किडनी में कैंसर या प्रोस्टेट कैंसर के समय शौच या मूत्र की आदतों में बदलाव आना ।
- लगातार होने वाली खाँसी व आवाज का बैठ जाना ।
- शरीर के किसी भी तिल या मस्से के आकार व रंग में बदलाव का होना।
- शरीर में कही भी कभी न ठीक या ना भरने वाला घाव या नासूर आदि का होना।
- स्तन में या शरीर के किसी हिस्से में गांठ व असामान्य उभार का होना |
- याददाश्त में कमी, देखने-सुनने में दिक्कत होना , सिर में भारी दर्द होना।
- कमर या पीठ में लगातार दर्द ।
- माउथ कैंसर के समय पर मुंह खोलने, चबाने, निगलने या खाना हजम करने में परेशानी हो जाना |
- बिना किसी कारण के भूख लगना बंद होना |
- कहीं बहुत तेज़ी से वजन तो नहीं घट रहा, खासकर बड़ी उम्र के लोगों में।
कैंसर रोग होने का कारण
कैंसर रोग होने का सबसे प्रमुख कारण दूषित भोजन का सेवन करना है।
धूम्रपान करने से या धूम्रपान करने वाले के संग रहने से कैंसर रोग हो सकता है।
गुटका, पान मसाला, गुटका, शराब तथा तम्बाकू का सेवन करने से कैंसर रोग हो सकता है।
बारीक आटा, चावल, मैदा तथा रिफाइंड का अधिक सेवन करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
अधिक (श्रम) कार्य करना तथा आराम की कमी के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
बासी भोजन, सड़ी-गली चीजें तथा बहुत समय से फ्रिज में रखे भोजन को खाने से कैंसर रोग हो सकता है।
चीनी, नमक, चाय, कॉफी, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ तथा मांस का भोजन में अधिक उपयोग करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
बारीक आटा, चावल, मैदा तथा रिफाइंड का अधिक सेवन करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
तनाव, भय तथा अधिक चिंता करने के कारण कैंसर रोग हो सकता है।
तेल, घी को कई बार गर्म करके सेवन करने से भी कैंसर रोग हो सकता है।
दांत, कान, आंख, मलद्वार, मूत्रद्वार तथा त्वचा की सफाई ठीक तरह से न करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
गंदे पानी का सेवन करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
एल्युमिनियम तथा प्लास्टिक के बर्तनों में अधिक भोजन करने के कारण कैंसर रोग हो सकता है।
पेट में कब्ज बनने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
रासायनिक पदार्थों तथा रंगों का प्रयोग करने से कैंसर रोग हो सकता है।
शरीर में विटामिन `ए´ तथा `सी´ की कमी हो जाने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
कृत्रिम व तंग वस्त्रों का अधिक प्रयोग करने के कारण कैंसर रोग हो सकता है।
बहुत अधिक मिलावटी खाद्य पदार्थ (वह खाद्य पदार्थ जिसमें कंकड़, मिट्टी, तथा अन्य चींजे मिली हुई) का भोजन में सेवन करने के कारण भी कैंसर रोग हो जाता है।
कैंसर रोग का आयुर्वेदिक चिकित्सा के उपचार:-
तम्बाकू का उपयोग बंद करें :– डॉक्टर्स के अनुसार, ये सभी नशीले पदार्थ ओरल कैंसर के लिए सबसे बड़े कारण होते है।अगर आप किसी भी प्रकार की तम्बाकू, सिगरेट, पाइप्स या कपूरी, गुटखा आदि का सेवन करते है तो इससे जल्दी से दूरी बना लें।
शराब का सेवन रोकें :– शराब का सेवन करने से ओरल कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है, क्योंकि मुंह एल्कोहल की वजह से घव्युक्त हो जाता है और उसमें घाव बढ़ता जाता है। साथ ही शरीर में कई प्रकार की समस्याएं भी होने लगती हैं |
सूर्य की अधिक रोशनी बाहर ना निकलें :– सूर्य के प्रकाश में अल्ट्रावॉयलेट रेज़ होती हैं जो ओंठ के कैंसर और स्कीन कैंसर का भी बहुत बड़ा कारण हो सकता है। माना जाता है कि सूर्य का अत्यधिक प्रकाश भी ओरल कैंसर का कारण हो सकता है |
नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम करने से शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति में वृद्धि होती है |
स्वास्थ्यवर्धक भोजन का सेवन करें :– दूध, दही , हरी सब्जी और फल खाने से स्वास्थ्य ठीक रहता है | ग्रीन टी पिएं, इसमें एंटीऑक्सीडेंट होता है जो भोजन को नियमित करता है ।
लहसुन और प्याज का इस्तेमाल करें :- लहसुन ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है साथ ही यह इंसुलिन उत्पादन को कम करके शरीर में ट्यूमर नहीं होने देता | लहसुन और प्याज में मौजूद सल्फर कंपाउंड बड़ी आंत, स्तन, फेफड़े की कैंसर कोशिकाओं को मार देते हैं |
सब्ज़ियाँ :– ब्रोकोली और फूलगोभी शरीर में दो ताकतवर कैंसर रोधी अणु होते हैं जो डिटोक्सीफिकेशन एंजाइम के उत्पादन को बढ़ाते हैं जो कैंसर की कोशिकाओं को मारते हैं और ट्यूमर को बढ़ने से रोकते हैं | ये फेफड़े, प्रोस्टेट, मूत्राशय और पेट के कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए भी जाने जाते हैं |
अदरक :– ताजा अदरक में कैंसर की कोशिकाओं से लड़ने वाले कुछ खास गुण होते है | यह ट्यूमर की कोशिकाओं को रोकने के लिए मदद करती हैं | अदरक का अर्क कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी से होने वाली परेशानी को भी कम करती है|
हल्दी :– यह सबसे शक्तिशाली प्राकृतिक कैंसर रोधी तत्व है | यह कैंसर कोशिका को मारकर ट्यूमर को बढ़ने से रोकती है और साथ ही कीमोथेरेपी का असर बढ़ाती है. काली मिर्च के साथ तेल में मिलाने पर हल्दी और भी ज्यादा असरकारी होती है |
पपीता, कीनू और संतरे का नियमित सेवन करें :– पपीता, कीनू और संतरे विटामिन और ऐसे तत्वों से भरपूर होते हैं जो लीवर में पाए जाने वाले कार्सिनोजन को खत्म करते हैं | कीनू और उसके छिल्के में फ्लेवनोइड्स और नोबिलेटिन नामक तत्व होते हैं जिसमें कैंसर कोशिकाओं को रोकने की क्षमता होती है |
कैंसर से बचने के लिए कुछ सावधानियाँ
लाल, नीले, पीले और जामुनी रंग की फल-सब्जियां जैसे टमाटर, जामुन, काले अंगूर, अमरूद, पपीता, तरबूज आदि खाने से कैंसर का खतरा कम हो जाता है। इनको ज्यादा से ज्यादा अपने भोजन में शामिल करें ।
हल्दी का अपने खाने में प्रतिदिन सेवन करें । हल्दी ठीक सेल्स को छेड़े बिना ट्यूमर के बीमार सेल्स की बढ़ोतरी को धीमा करती है।
हरी चाय स्किन, आंत ब्रेस्ट, पेट , लिवर और फेफड़ों के कैंसर को रोकने में मदद करती है। लेकिन यदि चाय की पत्ती अगर प्रोसेस की गई हो तो उसके ज्यादातर गुण गायब हो जाते हैं।
सोयाबीन या उसके बने उत्पादों का प्रयोग करें । सोया प्रॉडक्ट्स खाने से ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर की आशंका कम होती है।
बादाम, किशमिश आदि ड्राई फ्रूट्स खाने से कैंसर का फैलाव रुकता है।
पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली आदि में कैंसर को ख़त्म करने का गुण होता है।
कैंसर के इलाज लहसुन बहुत ही प्रभावी है । इसलिए रोज लहसुन अवश्य खाएं। इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
ऑर्गेनिक फूड का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें | ऑर्गेनिक यानी वे दालें, सब्जियां, फल जिनके उत्पादन में पेस्टीसाइड और केमिकल खादें इस्तेमाल नहीं हुई हों।
रोज सुबह उठकर रात को ताम्बे के बर्तन रखा 3-4 गिलास पानी अवश्य ही पियें ।
रोज 15 मिनट तक सूर्य की हल्की रोशनी में बैठें।
नियमित रूप से व्यायाम करें।
कैंसर का पता लगने पर दूध या दूध के बने पदार्थों का उपयोग बंद कर दें । इनसे व्यक्ति को नहीं वरन कैंसर के बैक्टीरिया को ताकत मिलती है ।
नियमित रूप से गेंहू के पौधे के रस का सेवन करें ।
तुलसी और हल्दी से मुंह में होने वाले इस जटिल रोग का इलाज संभव है।वैसे तो तुलसी और हल्दी में कुदरती आयुर्वेदिक गुण होते ही हैं मगर इसमें कैंसर रोकने वाले महत्वपूर्ण एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व भी होते हैं। तुलसी इस रोग में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देती है। घाव भरने में भी तुलसी मददगार होती है।
एक से अधिक साथी से यौन सम्बन्ध न रखें | ऐसा करके गर्भाश्य के कैंसर से बचा जा सकता है।
अनार का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें अनार कैंसर के इलाज खासकर स्तन कैंसर में बहुत ही प्रभावी माना गया है |
सलाह :- कैंसर एक जानलेवा बीमारी है | इसे शरीर में बनने ना दें | जरा सी समझदारी पूरी ज़िन्दगी का लाभ दे सकती है | यदि इस रोग के लक्षण जरा से भी नज़र आते हैं तो सही समय पर इसकी रोकधाम के लिए चिकित्सक से परामर्श लें |