
गेहूं का ही एक प्रकार है सूजी। इसको अधिकतर स्थानों पर रवे के नाम से भी जाना जाता है। इसमें ग्लुटेन पाया जाता है। स्वस्थ नाश्ते के लिए सूजी का प्रयोग हलवे, इडली अथवा उपमे के तौर पर किया जाता है। अगर आपका कुछ हल्का-फुल्का खाने का मन है, तो आप सूजी की कोई भी डिश आपके लिए उत्तम रहेगी। यह खाने में बहुत ही हलकी होती है। इसलिए आज हम आपको सूजी के कुछ ऐसे स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनको जानने के बाद आप अपने सूजी का सेवन किए बगैर रह नहीं पांएगे।
चलिए जानते हैं इन लाभों के बारे में !!
1. हाई कोलेस्ट्रॉल:-
- जैसा पहले बताया गया है कि सूजी में लो फैट और कोलेस्ट्रॉल बिल्कुल भी नहीं होता।
- इसलिए यह उन लोगों के लिए अच्छी है जिनका कोलेस्ट्रॉल बढ जाता है।
- इसमें ना तो ट्रांस फैटी एसिड होता है और ना ही सैचुरेटेड वसा होती है।
2. एनीमिया:-
- सूजी में आयरन की भरपूर मात्रा होते हैं।
- जसकव के कारण यह शरीर में खून की कमी को पूरा करने के साथ- साथ शरीर को तंदरुस्त रखती है।
- साथ ही एनीमिया जैसी बीमारी तथा बचाव करती है।
3. हृदय रोग:-
- इसे खाने से शरीर में रक्त संचार सुचारू रूप से काम करता है और हार्ट अटैक का खतरा कम होता है।
4. शरीर की कार्य क्षमता:-
- आवश्यक विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्वों के कारण, सूजी शरीर के कई कार्यों को बढ़ावा देती है।
- यह दिल और गुर्दे की कार्य क्षमता को बढाती है। साथ ही यह मासपेशियों को सुचारू रूप से कार्य करने में मदद भी करती है।
- यह हड्डियों, तंत्रिका और मासपेशी को स्वस्थ रखने का कार्य करती है।
5. शरीर के लिए संतुलित आहार:-
- सूजी में ढेर सारा जरुरी पोषण होता है, जैसे- फाइबर, विटामिन बी कॉम्पलेक्स और विटामिन-ई आदि।
- साथ ही इसमें फैट, कोलेस्ट्रॉल और सोडियम भी नहीं होता।
- साथ ही इसमें ढेर सारे मिनरल्स भी होते हैं।
- इसलिए यह एक संतुलित आहार है।
6. ऊर्जा बढाए:-
- सूजी में कार्बोहाइड्रेट ज्यादा होने की वजह से शरीर में एनर्जी बढ़ती है।
- इसे सुबह ब्रेकफास्ट में खाने से दिन भर शरीर में एनर्जी रहेगी और आप हमेशा एक्टिव रहेंगे
7. मोटापा:-
- जब खाना धीरे धीरे हजम होगा तो, जल्दी भूख नहीं लगेगी।
- इसमें ढेर सारा फाइबर भी होता है।
- जिस कारण से यह धीरे हजम होती है तो यह आपके लिए अच्छी है।
8. मधुमेह:-
- यह डायबिटीज़ रोगियों के लिए उत्तम आहार है।
- इसका ग्लिसेमिक इंडेक्स कम होने की वजह से शुगर बढ़ने का ख़तरा नहीं रहता।
- मैदे के मुकाबले यह रक्त में अवशोषण होने में अधिक समय लगाती है।
- जिससे रोगियों में रक्त शर्करा कम ज्यादा होने का खतरा नहीं रहता।