
अपानवायु मुद्रा योगासन की एक विशेष योग मुद्रा हैं जो के हृदय के लिए बहुत ही उपयोगी हैं, अगर आप हर रोज़ 10 से 20 मिनट तक इसका अभ्यास करते हैं तो यह आपको हार्ट ट्रबल, हृदय के सभी रोग तथा बेचैनी, गैस ट्रबल तथा पेट की बेचैनी, और सारे शरीर की बेचैनी से मुक्ति पा सकते हैं। ये अचानक आये हार्ट अटैक में इंजेक्शन से भी ज़्यादा उपयोगी हैं। हृदय घात के लिए प्रथम चिकित्सा यही करनी चाहिए।
चलिए जानते हैं इस योग के बारे में!!
करने की विधि:-
- अंगूठे के पास वाली पहली अंगुली को अंगूठे की जड़ में लगाकर अंगूठे के अग्रभाग को बीच की दोनों अँगुलियों के अगले सिर से लगा दें।
- सबसे छोटी अंगुली को अलग रखें।
- इस स्थिति का नाम अपानवायु मुद्रा है।
- यह मुद्रा, दोनों हाथों से एक साथ, किसी सहज आसन में बैठे-बैठे या लेटे-लेटे की जानी चाहिए।
अचानक आये हार्ट अटैक में:-
- यदि किसी को हार्ट अटैक या ह्रदय रोग एकाएक आरम्भ हो जाए।
- तो इस मुद्रा को अविलम्ब करने से इंजेक्सन से भी अधिक प्रभावशाली रूप में हार्ट अटैक को तत्काल रोका जा सकता है।
- हार्ट अटैक को रोकने के लिए यह रामबाण प्रयोग है।
- ह्रदय रोगों जैसे ह्रदय की घबराहट, ह्रदय की तेज या मंदगति, ह्रदय का धीरे-धीरे बैठ जाना आदि में कुछ हो क्षणों में लाभ होता है।
विशेष:-
- हार्ट ट्रबल के अतिरिक्त गैस ट्रबल में भी अपानवायु मुद्रा शीघ्र प्रभावोत्पादक है।
- पेट की गैस, ह्रदय तथा पेट की बेचैनी और सारे शरीर की बेचैनी इस मुद्रा के अभ्यास से दूर हो जाती है।
- आवश्यकता अनुसार प्रतिदिन पांच मिनट से पैंतालीस मिनट तक इसका अभ्यास किया जा सकता है।