सफेद दाग का कैसे करें घरेलू और टिकाऊ उपचार ?

सफेद दाग (Leukoderma) एक त्‍वचा रोग है। यह एक ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर है। ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) उलटा असर यानी शरीर को ही नुकसान पहुंचाने लगती है। सफेद दाग के मामले में खराब इम्यूनिटी की वजह से शरीर में स्किन का रंग बनाने वाली कोशिकाएं मेलानोसाइट(melanocyte)मरने लगती हैं। इससे शरीर में जगह-जगह उजले धब्बे बन जाते हैं। सफेद दाग को वीटिलिगो, ल्यूकोडर्मा, फुलेरी और श्वेत पात नाम से भी जाना जाता है।

इस रोग से ग्रसि‍त लोगों के बदन पर अलग-अलग स्‍थानों पर अलग-अलग आकार के सफेद दाग आ जाते हैं। वि‍श्‍व में एक से दो प्रति‍शत लोग इस रोग से प्रभावि‍त हैं, लेकि‍न भारत में इस रोग के शि‍कार लोगों का प्रति‍शत चार से पांच है। राजस्‍थान और गुजरात के कुछ भागों में पांच से आठ प्रति‍शत लोग इस रोग से ग्रस्‍त हैं। इसलिए आज हम आपको एक ऐसे उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको करने से आप इस समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकेंगे और वो भी घर पर।

चलिए जानते हैं इस उपाय के बारे में !!

आवश्यक सामग्री:-

 

  • बावची/बाकुची सभी प्रकार के त्वचा और कुष्ट रोगो में रामबाण हैं।
  • बावची का यह गुण देखकर इसका प्रयोग सफ़ेद दाग की ज़्यादातर अंग्रेजी दवाओ में भी  होता हैं।
  • इस रोग में बावची बहुत कारगर दवा हैं।

प्रयोग विधि:-

  • 50 ग्राम बावची के बीज लें।
  • इनको पानी में 3 दिन तक भिगोएं।
  • पानी हर रोज़ बदलते रहें।
  • तीन दिन बाद बीजों को मसलकर छिलका उतार लें तथा छाया में सूखा लें।
  • फिर इन सूखे बीजो को पीस कर पावडर बना लें।
  • आपकी औषधि तैयार हैं।

सेवन की विधि:-

  • इस पाउडर को डेढ ग्राम प्रतिदिन 250 ग्राम बकरी अथवा देसी गाय के दूध के साथ पीएँ।
  • इसी चूर्ण को पानी में घिसकर पेस्ट बना लें।
  • यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें।
  • यह उपाय 2 से 4 महीने तक करें,  बहुत लाभ होगा।

अन्य उपाय:-

  • बावची के बीज और इमली के बीज बराबर मात्रा में लेकर 4 दिन तक पानी में भिगोएँ।
  • 4 दिन बाद में बीजों को मसलकर छिलका उतारकर सूखा लें।
  • पीसकर महीन पावडर बना लें।
  • इस पावडर की थोडी सी मात्रा लेकर पानी के साथ पेस्ट बनावें।
  • यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर एक  सप्ताह तक लगाते रहें।

सावधानियाँ:-

  • यदि इस पेस्ट के इस्तेमाल करने से सफ़ेद दाग की जगह लाल हो जाए तथा उसमें से तरल द्रव निकलने लगे तो ईलाज रोक देना उचित रहेगा। कुछ दिन सही होने के बाद दोबारा करे।
  • प्रयोग काल में खान पान पर पूरा धयान दे। कुछ भी अधिक तला हुआ, मिर्च मसाले वाला, अधिक नमक, अधिक मीठा ना खाए, धूम्रपान और शराब का सेवन बिलकुल बंद कर दे। खून साफ़ करने का आयुर्वेदिक टॉनिक किसी अच्छी कंपनी का जैसे झंडू या बैद्यनाथ का पिए जिसमे चिरायता, कुटकी और नीम मिला हो।
  • 2 से 4 महीने में आशातीत लाभ होगा।
बावची जिसको बहुत जगह बाकुची भी बोला जाता हैं आपको पंसारी से मिल जाएगी।

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