
आज हम आपको एक ऐसी औषधि के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसको उपयोग करने से आप गंजेपन और चर्म रोग जैसे बहुत सी भयानक रोगों से छुटकारा पा सकेंगे। यह औषधि है, जमालगोटा। जमालगोटा एक झाड़ी है, जो कि भारत में सूखे जंगलों में पाई जाती है। इसके बीज देखने में अरंड के बीजों जैसे होते हैं। इसका स्वाद कड़वा तथा जलन पैदा करने वाला होता है। जमालगोटा मनुष्य को बहुत तीव्र दस्त लाता है। परन्तु इसके दोषों को नष्ट कर इसके उपयोग करने से यह शरीर को साफ करता है। साथ ही यह सर्दी व गर्मी से लगने वाले रोगों में लाभकारी होता है। जमालगोटा का तेल भी दस्त पैदा करता है मगर इससे मालिश करने से अंग शक्ति बढ़ती है।
चलिए जानते हैं इसके लाभों के बारे में !!
1. दमा>>
- जमालगोटे को दिये की लौ में जलाते हुए इसका धुंआ नाक द्वारा अन्दर लेने से श्वास रोग में लाभ मिलता है।
अथवा
- जमाल गोटा को गर्म कण्डे पर टुकड़े-टुकड़े करके डालें।
- उससे निकलने वाले धुएं को मुंह से अन्दर खींचकर नाक के बाहर निकालें।
- यह प्रयोग बार-बार दोहराएं।
अथवा
- जले हुए जमालगोटे के टुकड़े को पान में रखकर चबाएं और खा लें।
- इससे और भी अधिक लाभ होगा।
2. फोड़े-फुंसियां>>
- जमाल गोटा और एरण्ड के बीज बराबर की मात्रा में पीसकर पानी में मिलाकर लेप बनाकर फोड़े-फुंसी और मुंहासे लगाने से लाभ मिलता है।
3. बिच्छू का दंश>>
- जमाल गोटा को पानी में घिसकर काटे हुए हिस्से पर लगाएं।
- इससे बिच्छू का दंश ठीक हो जाता है।
4. सिर दर्द>>
- सिर दर्द होने पर जमालगोटा को पीसकर माथे पर मलने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
- कुछ समय बाद इसे पोंछकर घी लगा लें नहीं तो जलन होगी।
5. सांप के काटने पर>>
- जमाल गोटा का चूर्ण 100 मिलीग्राम की मात्रा में एक कालीमिर्च के साथ पीसकर पानी के साथ पिलाने से उल्टी होकर जहर निकल जाता है।
- फल को घिसकर डंक लगे स्थान पर भी लगाने से शीघ्र लाभ होता है।
6. चर्म रोग>>
- जमाल गोटा को नारियल के तेल में पीसकर लेप बना लें और लगायें।
- इससे चर्मरोग नष्ट हो जाते हैं।
7. गंजापन>>
- नींबू के रस में जमालगोटे के बीज को पीसकर सिर पर लगाएं।
- सूखने पर कुछ ही देर में धो लें।
- इसे प्रतिदिन लगाते रहें।
- इससे गंजापन का रोग नष्ट हो जाता है।
8. नासूर (पुराने घाव)>>
- जमाल गोटा को पीसकर नासूर पर लेप करने से लाभ मिलता है।
9. नहरूआ (स्यानु)>>
- जमालगोटा को पानी में पीसकर लेप करने से नहरूआ का रोग दूर हो जाता है।
10. पौरुष कमजोरी>>
- जमालगोटे का तेल अंग के ऊपर लगाने से बहुत आनंदित लाभ मिलता है।
11. कब्ज>>
- जमालगोटा के बीज 30 मिलीग्राम से 60 मिलीग्राम या तेल आधा से एक बूंद मक्खन में मिलाकर खाने से पतले दस्त आते हैं।
- ध्यान रहे कि जब शौच रुक नहीं रहा हो तो ऐसी हालत में पानी में कत्था (खैर) को घिसकर नींबू का रस मिलाकर अच्छी तरह घोंटकर पिलाते रहें।
- इससे कब्ज नष्ट हो जाती है।
12. ब्रेन हेमरेज व कोमा>>
- मक्खन या शहद के साथ जमालगोटा के तेल की एक बूंद जीभ के नीचे रख देना फयदेमंद होता है।
- जरूरी होने पर दूसरे दिन भी यही प्रयोग दोहराया जा सकता है।
13. मस्तिष्क ज्वर>>
- सिर के बाल मुण्डवाकर 3 चम्मच जैतून के तेल में एक चम्मच जमाल गोटा का तेल मिलाकर मालिश करना लाभदायक होता है।
जमालगोटे को शुद्ध करने की विधि:-
- जमालगोटा को दूध में मिलाकर गर्म कर लें।
- जब इसमें से चिकनाई समाप्त हो जाए, तब समझे यह शुद्ध हो गया है।
जमालगोटे का हानिकारक प्रभाव:-
- जमालगोटा दस्त पैदा करता है, उल्टी लाता है और पेट में जलन पैदा करता है।
- जमाल घोटा का ज्यादा सेवन करना आमाशय व आंतों के लिए नुकसानदायक होता है।
- यह पेट में जलन , दर्द, और खून के दस्त पैदा करता है।
- इससे पेट में जख्म हो जाता है।
- इसका प्रयोग कम से कम करना चाहिए।
- यह मल को तोड़ता है।
- उल्टियाँ आनी शुरू हो जाती है।
- पेट में ऐंठन होती है।
- आँतों में जलन, घाव बन जाते हैं।
- खूनी दस्त भी हो सकते हैं।
जमालगोटे के विषैले प्रभाव को समाप्त करने का तरीका:-
- बिना घी निकाला छाछ पीएं।
- मिश्री, धनिया, दही खाने से भी आराम मिलता है।
- गर्म पानी पीएं।
जमालगोटे में सावधनियाँ:-
- इसका तेल उत्यंत उत्तेजक है। चमड़ी पर लग जाने पर यह फोड़े करता है।
- इसे गर्भावस्था में कभी प्रयोग न करें।
- इसके तेल और बिना शुद्ध किये बीजों का प्रयोग कदापि न करें।