आज हम आपको एक ऐसे उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके उपयोग से आप हृदय के हर प्रकार के रोगों से छुटकारा पा सकेंगे। इस प्रयोग से तेज़ धड़कन, हृदय की शिथिलता, हृदय की पीड़ा(एनजाइना), हृदय बढ़ जाने या सूजन पर, घबराहट होना इत्यादि में बहुत ही प्रभावशाली और विशेषातिविशेष प्रयोग हैं। अगर आपको हृदय सम्बन्धी कोई भी आशंका हो तो आप ये प्रयोग निश्चिन्त हो कर करे।
चलिए जानते हैं इस उपाय के बारे में।
बनाने की विधि:-
- अर्जुन की ताज़ा छाल को छाया में सुखा कर, इसे पीसकर इसका चूर्ण बना लें।
- अब 250-250 ग्राम दूध तथा पानी को मिला कर हल्की आंच पर रखें।
- इसमें ऊपर बनाए गए चूर्ण को 3 ग्राम(छोटा चाय का चम्मच) मिला कर उबालें।
- इसे तब तक उबलने दें, जब तक पानी सुखकर केवल दूध अर्थात आधा बच जाए। अब इसे आँच से उतर लें।
- पीने योग्य होने पर छान कर रख लें।
प्रयोग विधि:-
- रोज़ाना प्रात: शौच करने के बाद एक बार इसका सेवन करें।
- इसके सेवन के बाद डेढ़-दो घंटों तक कुछ न लें।
- एक महीने तक रोज़ाना सुबह इसका सेवन करें।
- 1 माह बाद हर महीने शुरू में 3 दिन तक लगातर सुबह इसका सेवन करने से पुन: दिल का दौरा पड़ने की संभावना नही रहती।
- इसको पीने से सम्पूर्ण ह्रदय रोग नष्ट होते है तथा दिल के दौरे से बचाव होता है।
- ध्यान रहे स्वस्थ देसी गाय के दूध का ही प्रयोग करें।
इस उपयोग के विशेष फाएदे:-
- ह्रदय रोगो में अर्जुन की छाल का कपड़छान चूर्ण का प्रभाव इंजेक्शन से भी अधिक होता है। जीभ पर रखकर चूसते ही रोग कम होने लगता है। इसे सारबिट्रेट गोली के स्थान पर प्रयोग करने पर उतना ही लाभकारी पाया गया है।
- यह उच्च रक्तचाप में लाभप्रद है। उच्च रक्तचाप के कारण यदि ह्रदय पर शोथ या सूजन उत्पत्र हो गई तो उसको भी दूर करता है।
- हृदय के अधिक धड़कने और और नाड़ी की गति बहुत कमज़ोर हो जाने पर इसको रोगी की जीभ पर रखने मात्र से नाड़ी में तुरंत शक्ति प्रतीत होने लगती हैं। इस दवा का लाभ स्थायी होता है और यह दवा किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाती तथा एलोपैथिक की प्रसिद्ध दवा डेजिटेलिस से भी अधिक लाभप्रद हैं।
- गुर्दे पर इसका प्रभाव मूत्रल अर्थात अधिक मूत्र लाने वाला है। ह्रदय रोगों के अतिरिक्त शरीर के विभिन्न अंगों में पानी पड़ जाने और शरीर पर शोथ आ जाने पर भी अर्जुन का सफलता से प्रयोग किया जाता है।
- ह्रदय की शिथिलता, तेज धड़कन, सूजन या ह्रदय बढ़ जाने आदि तमाम ह्रदय रोगों में अतयंत प्रभावकारी योग है।
- हार्ट अटैक हो चुकने पर काढ़ा सुबह तथा रात दोनों समय सेवन करें। अनुपम ह्रदय शक्तिवर्धक है।
- पूर्ण लाभ के लिए गाय के दूध में काढ़ा बनाकर लेना आवश्यक है। क्षीर-पाक विधि से लेने से दिल से दिल की धड़कन तेज होना, ह्रदय में पीड़ा, घबराहट होना, आदि दूर होते है।
डॉक्टर से दवाई मंगवाने के लिए 9041-715-715 नंबर पर कॉल करें।
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