खुनी तथा बादी बवासीर का उपचार कैसे करें ?

बवासीर से ज़्यादातर लोग परेशान हैं। इस बीमारी के होने का प्रमुख कारण अनियमित दिनचर्या और हमारा बिगड़ा हुआ खानपान है। बवासीर में होने वाला दर्द असहनीय होता है। बवासीर मलाशय के आसपास की नसों में सूजन के कारण होता है। बवासीर दो प्रकार की होती है, एक अंदरुनी और दूसरी बाहरी। अंदरूनी बवासीर में मस्से अंदर को होते हैं। अंदरूनी बवासीर में नसों की सूजन दिखती नहीं परन्तु महसूस होती है, जबकि बाहरी बवासीर में यह सूजन गुद्दे के बिल्कुल बाहर दिखती है। बवासीर में मस्से गुद्दे वाली जगह पर होते हैं और इसमें दर्द नहीं होती, कभी-कभी हल्की खुजली होती है। कब्ज होने पर इन मस्सों से इतना खून आने लगता है कि मरीज खून देखकर घबरा जाता है। यह बीमारी एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में आप खुलकर किसी को बता भी नहीं सकते हैं। इसलिए आज हम आपको एक ऐसी घरेलू उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको करने से आप इस बीमारी से छुटकारा पा सकेंगे।

चलिए जानते हैं इस घरेलू उपाय के बारे में!!

आवश्यक सामग्री:-

  • सफ़ेद कत्थे का चूर्ण – 20 ग्राम
  • रीठे – 50 ग्राम
  • कुश्ता फौलाद – 3 ग्राम

बनाने की विधि:-

  • तवे पर रीठे रखकर कटोरी से ढक दें और नीचे आग जला दें।
  • रीठे 1 घंटे में पूरी तरह जल जाएंगे।
  • अब इन्हें ठण्डा होने पर रीठो को खरल कर लें अथवा सिल पर बारीक पीस लें।
  • इसके पश्चात कुश्ता फौलाद तथा सफ़ेद कत्थे का चूर्ण लें।
  • अंत में इसमें ऊपर पीसी रीठे की भस्म 20 ग्राम की मात्रा में मिला दें।

सेवन की विधि:-

  • उसे सुबह शाम 1-1 ग्राम मक्खन के साथ खाए।
  • ऊपर से गर्म दूध पी लें।
  • दोनों ही प्रकार की बवासीर में दस पंद्रह दिनों में आराम आ जाएगा।
  • गुड, गोश्त, शराब, आम और अंगूर का परहेज करें।

अन्य उपचार:-

  • बवासीर के रोगी को बादी और तले पदार्थ नहीं खाने चाहिए, जिनसे पेट में कब्ज हो।
  • बवासीर के रोगी को चाहिए के वो कब्ज ना रहने दे।
  • इसलिए वो रात को दूध में एक चम्मच गाय का घी या बादाम रोगन डाल कर पिए।
  • इसके साथ हर सुबह नित्य कर्म से निर्व्रत हो कर 15 मिनट कपाल भाति प्राणायाम ज़रूर करे।
  • भोजन हल्का और सुपाच्य ले।

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