गोमूत्र से तैयार हुई कैंसर की दवाई ..मिली मान्यता

कैंसर का सफल इलाज गौमूत्र से

गोमूत्र को प्राचीन ग्रंथों आैर आयुर्वेद में कैंसर के उपचार में कारगर माना जाता रहा है । अब धीरे धीरे आयुर्वेद में यह छुपा हुआ कैंसर का इलाज वैज्ञानिक कसौटी पर भी खरा उतरता नजर आ रहा है।आयुर्वेद में प्राचीन काल से गोमूत्र आैर पंचगव्य का विभिन्न रोगों को ठीक करने में उपयोग किया जाता रहा है | गोमूत्र को आयुर्वेद में तीन दोषों को मारने वाला अस्त्र माना गया है।

अमेरिका में लिया गया पेटेंट

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS के सहयोगी संगठन गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र ने बनायीं गौ मूत्र से कैंसर की अचूक दवा जिसे हाल ही में अमेरिकी पेटेंट हासिल हुआ है। आधिकारिक सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि कैंसर को ठीक करने वाली इस दवा को अपने एंटीजीनोटॉक्सिटी गुणों के कारण तीसरी बार यह पेटेंट दिया गया है |

गोमूत्र से बने अर्क को कामधेनु अर्क  के नाम से जाना जाता है।नीरी के एक्टिंग डायरेक्टर तपन चक्रवर्ती ने कामधेनु अर्क को पेटेंट मिलने की पुष्टि की है। नेशनल इन्वाइरनमेंटल इंजीनियर रिसर्च इंस्टिट्यूट नीरी और गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र ने इसे मिलकर तैयार किया है।  चक्रवर्ती ने बताया कि री डिस्टिल्ड काउ यूरिन डिस्टिलेट का उपयोग जैविक तौर पर नुकसानग्रस्त डीएनए को दुरस्त करने में किया जा सकता है। इस नुकसान से कैंसर के साथ साथ कई और बीमारियाँ भी ठीक की जा सकती हैं |

 

मानसिंघका ने बताया की इस दवा को तीन मरीजों पर आजमाया गया था जिसमें से दो गले और एक को गर्भाशय का कैंसर था। उन्होंने बताया कि गोमूत्र द्वारा तैयार किया गया यह अर्क जीनोटॉक्सिटी के विरुद्द  अपना कार्य करता है जो कोशिका के आनुवांशिक पदार्थ को होने वाली नुकसानदायक क्रिया है।

गोमूत्र अर्क ही है कामधेनू अर्क

आयुर्वेद के जानकार पतंजलि आयुर्वेद चिकित्सालय से जुडे वैद्य  पेटेंट दिया गया कामधेनु अर्क गोमूत्र अर्क ही है।  गोमूत्र आैर गोमूत्र अर्क का प्रयोग सदियो से जीर्ण व्याधियो को ठीक करने में किया जा रहा है। इस गोमूत्र अर्क बनाने की विधि में देसी गाय के मूत्र को उबाल कर उसकी भाप को आसवन विधि से साफ पात्र में इकठठा किया जाता है।

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