
मुख्य रूप से यह रोग खून की खराबी के कारण होता है तथा चिकित्सा न कराने पर तीव्रता से शरीर में फैलता है। इस रोग में त्वचा शुष्क हो जाती है और बार-बार खुजली करने का मन करता है क्योंकि त्वचा की ऊपरी सतह पर नमी की कमी हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा को कोई सुरक्षा नहीं रहती, और जीवाणुओं और कोशाणुओं के लिए हमला करने और त्वचा के भीतर घुसने के लिए आसान हो जाता है। एक्ज़िमा के रोग से ग्रस्त रोगी अन्य विकारों के भी शिकार होते हैं।
यह किसी भी उम्र के पुरुष या महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे घरेलू उपाय के बारे में, जिसको करने से आप एक्ज़िमा तथा सोराइसिस जैसे रोगों को जड़ से खत्म कर पाएंगे। यह उपाय इनके लिए रामबाण के समान है।
इस रोग के होने की स्थिति में रोगी खटाई खासकर इमली आमचूर की खटाई, दही, अचार, भारी, तली, तेज मिर्च मसालेदार भोजन तथा नशीले पदार्थो का सेवन ना करे। नमक का सेवन भी ना करे। और अगर थोड़ा बहुत नमक खाना हो तो सिर्फ सेंधा नमक ही खाए।
चलिए जानते हैं इस उपाय के बारे में !!
प्रयोग करने की विधि:-
- 250 ग्राम सरसों का तेल लेकर लोहे की कढ़ाही में चढ़ा कर आग पर रख दें।
- जब तेल खूब उबलने लगे तब इसमें 50 ग्राम नीम की कोमल कोंपल(नई पत्तियाँ) डाल दें।
- कोपलों के काले पड़ते ही कड़ाही को तुरंत नीचे उतार लें, अन्यथा तेल में आग लगकर तेल जल सकता हैं।
- ठंडा होने पर तेल को छान कर बोतल में भर लें।
- दिन में चार बार एक्ज़िमा पर लगाएं।
- कुछ ही दिनों में एक्ज़िमा नष्ट हो जाएगा।
- एक वर्ष तक लगते रहेंगे तो ये रोग दोबारा नहीं होगा।
विशेष:-
- एक्ज़िमा में इस कड़वे पानी को पीने के अलावा इस पानी से एक्ज़िमा वाले स्थान को धोया करे।
- इस प्रयोग से एक्ज़िमा और रक्तदोष के अतिरिक्त हड्डी की टी बी, अपरस(सोराइसिस) और कैंसर आदि अनेक बीमारिया दूर होती हैं। इन कठिन बीमारियो में आवश्यकतानुसार एक दो महीने तक ये पानी पीना चाहिए। छोटे बच्चो को ये दो चम्मच की मात्र में पिलाना चाहिए। बच्चो को ऊपर से थोड़ा पानी पिलाया जा सकता हैं।
- इस प्रयोग से सोराइसिस जैसा कठिन चर्म रोग दूर होता हैं। इस प्रयोग को एक दो महीने करने से सोराइसिस जैसी लाइलाज बीमारी में आशातीत लाभ होता हैं।
- हर प्रकार के ज्वर में विशेषकर बसे हुए ज्वर में ये प्रयोग अत्यंत लाभकारी हैं।
सहायक प्रयोग:-
- चार ग्राम चिरायता और चार ग्राम कुटकी लेकर शीशे या चीनी के बर्तन में 125 ग्राम पानी डालकर रात को उसमे भिगो दे और ऊपर से ढक कर रख दे।
- प्रात: काल रात को भिगोया हुआ चिरायता और कुटकी का पानी निथार कर कपडे से छान कर पी ले और पीने के बाद 3-4 घंटे तक कुछ नहीं खाए और उसी समय अगले दिन के लिए उसी पात्र में 125 ग्राम पानी डाले।
- इस प्रकार चार दिन तक वही चिरायता और कुटकी काम देंगे।
- तत्पश्चात उनको फेंककर नया चार चार ग्राम चिरायता और कुटकी डालकर भिगोये और चार चार दिन के बाद बदलते रहे।
- यह पानी लगातार दो चार सप्ताह पीने से एक्ज़िमा, फोड़े फुंसी आदि चर्म रोग नष्ट होते हैं, मुंहासे निकलना बंद होते हैं और रक्त साफ़ होता हैं।