किडनी पीलिया प्रोस्टेट पत्थरी में मूली बेहद चमत्कारी
Raddish for Kidney jaundice prostate and stone related problem.
मूली किडनी रोग में पेशाब ना आने पर, प्रोस्टेट होने पर पेशाब रुकने पर, पीलिया में, पत्थरी सम्बंधित रोगों में बहुत ही गुणकारी है, अगर किसी कारण से पेशाब नहीं आ रहा है या पत्थरी की समस्या है तो आप ये बिलकुल साधारण और सर्व सुलभ मूली कि शरण में ज़रूर आयें और फायदा उठाये. आइये जानते है इन रोगों में मूली के उपयोग.
गुर्दे, मूत्राशय और पित्त की पत्थरी
मूली में क्षारता इतनी है के यह पत्थरी को भी गला देती है, पत्तों सहित मूली का रस निकालकर एक गिलास रस में एक निम्ब, चौथाई चम्मच कालीमिर्च मिलाकर नित्य प्रातः पियें. मूली लम्बे समय, जब तक मिलती रहे, सेवन करते रहें, मूली व् इसके पत्तों में पत्थरी निकालने के गुण विद्यमान होते हैं.
गुर्दे (किडनी) कि अक्षमता – पेशाब बंद हो जाना
1. वृक्क (किडनी) दोष, गर्मी, कब्ज के कारण मूत्र आना बंद हो जाता है. आधा चम्मच मूली के बीज पीसकर एक गिलास पानी में मिलाकर, चौथाई कप मूली का रस मिलाकर छानकर तीन बार पिलायें, पेशाब खुलकर आएगा. जलन भी दूर होगी.
2. मूली का रस आधा कप हर दो घंटे से पिलायें, पेशाब खुलकर आएगा, जलन भी दूर होगी.
3. वृक्क दोष से पेशाब आना बंद हो जाए, तो पत्तों सहित मूली का रस एक एक कप नित्य दो बार पीने से पेशाब पुनः बनने लगता है और पेशाब आने लगता है. जलन दूर होती है.
पेशाब बंद हो जाने पर
मूली के पत्तों के 50 ग्राम रस में चौथाई चम्मच सोडा बाई कार्ब मिलाकर पीने से मूत्र का अवरोध नष्ट होकर मूत्र खुलकर आता है. मूली खाने से पेशाब खुलकर आता है.
पौरुष ग्रंथि प्रदाह (प्रोस्टेट)
दो कप मूली के रस में 3 चम्मच शहद मिलाकर नित्य प्रातः पियें. इससे पौरुष ग्रंथि कि सूजन कम होगी, मूत्र कि रुकावट दूर होकर पेशाब खुलकर आएगा.
पीलिया (जौंडिस) होने पर
मूली के पत्तो और टहनियों का रस 50 ग्राम में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर प्रात: खाली पीने से सब प्रकार के पीलिया में लाभ होता है और इससे एक सप्ताह के भीतर पीलिया रोग दूर हो जाता है।
मूली कि गंध .
मूली खाने के बाद ज़रा सा गुड खाने से डकार में गंध नहीं आती.