कैसे करें बिना आपरेशन मोतियाबिंद का सटीक आयुर्वेदिक इलाज ?

मोतियाबिंद(cataracts) एक बहुत ही दर्दनाक बीमारी है। यह व्यक्ति को इस सुंदर दुनिया को देख पाने और जीवन को जीने में असमर्थ क्र देती है। डॉक्टरों द्वारा रोगी को इसका एक मात्र इलाज ओप्रेशन बताया जाता है। परन्तु बहुत कम लोग जानते हैं कि आपरेशन मोतियाबिंद का इलाज(Ayurvedic treatment for cataracts) किया जा सकता है। इसलिए आज हम आपको एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा(Ayurvedic treatment for cataracts) के बारे में बताने जा रहे, जोकि मोतियबिंद को खत्म कर आपको इस रोग से छुटकारा लाएगी। परन्तु यह सटीक दवा किसी अनुभवी वैद्य अथवा जानकार द्वारा ही तैयार की जा सकती है। क्योंकि इस दवा को बनाने में बहुत मेहनत लगती है। इस दवा को बनाना हरेक के बस की बात नहीं है। क्योंकि वैद्य को भी बनाते समय हर प्रकार के उतार-चढ़ाव का ध्यान रखें पड़ता है।

चलिए जानते हैं इस चमत्कारी दवा के बारे में(Ayurvedic treatment for cataracts)

ayurvedic treatment for cataracts

आवश्यक सामग्री:-

  • 2 तोला खदान का हरा तूतिया (सावधान रहें आजकल लोग घरों में नकली बनाने लगे हैं)
  • आक का दूध
  • गाय के दूध का घी

बनाने की विधि:-

  • 2 तोला खदान का हरा तूतिया लेकर इसे बारीक पीस लें।
  • अब इसको एक घंटा आक के दूध में डाल कर घोंटे(एक बार में 50 ग्राम दूध उपयोग होगा) तथा छाया में सूखने दें।
  • सुखेन के उपरांत दुबारा दूध डाल कर एक घंटे तक घोंटें तथा दुबारा छाया मे सूखने दें। आपको यह प्रक्रिया पूरे सौ बार इसी प्रकार करनी है।
  • यह मेहनत का कार्य है परन्तु एक बार मेहनत होगी और यह जीवन भर काम आएगी।
  • सौ बार प्रक्रिया के पूरे होने जाने के पश्चात इसे गाय के घी में मिला कर अच्छे से घोंट दें। जिससे दवा तथा दूध खूब अच्छे से मिल जाएं तथा एक मरहम समान तैयार हो जाए।
  • अब जितनी मात्रा में दवा में रुई भीग सके उतनी मात्रा में रुई लेकर तर कर के बत्ती बनाएं।
  • इसके पश्चात इस बत्ती को मिट्टी के दिए में रखें। उपर से एक थोडा बडा चीनी मिट्टी अथवा देसी मिट्टी का कटोरा तवे के समान औंधा क्र रखें।
  • फिर दिए की बत्ती जला कर इसे मिट्टी के कटोरे के नीचे रख दें।
  • दिए की बत्ती से निकलने वाला सारा धुआं कटोरे में जमा होता रहने दें।
  • पूरी बत्ती जल जाने के बाद धुंए के कालापन तथा जली हुई बत्ती को मिला कर अच्छे से घोट लें।
  • जब बारीक सुरमे जैसी चीज़ तैयार हो जाने पर इसे शीशी में डालकर रख लें।
  • अंत में आपकी अचूक दवा तैयार हो जाएगी।

उपयोग करने की विधि:-

  • आधी रत्ती की मात्रा में इस दवा को मोतियाबिंद के रोगी की आंखों में लगाएं।
  • ऊपर से एरेंड का पत्ता रोगी आखों पर रख कर बांध दें।
  • एरेंड के पत्ते ना होने की स्थिति में पान के पत्ते का भी उपयोग कर सकते हैं।
  • तीन घंटे के पश्चात पत्ते की पट्टी को खोल कर, दुबारा से दवा लगाएं तथा पुनः पट्टी बांध दें।
  • एक दिन में इस प्रक्रिया को चार बार दोहराना अर्थात 4 बार 2-3 घंटे के अंतराल से दवा लगानी है।
  • इस दवा का उपयोग सिर्फ एक ही दिन करना है।
  • अंत बार में जब आप पट्टी खोलें तो रोगी की आँखों को गर्म पानी से धो लें।
  • अब रोगी को आहिस्ता से दोनों आंखें खोलने को कहें।
  • इस दवा से नजर खुल जाएगी तथा फिर जीवनभर इस प्रकार की परेशानी नहीं होगी।

सावधानी:-

  • यह कार्य बंद घर में ही करें। जहां पर हवा तथा तेज़ रोशनी ना लगती हो।
  • जब तक अंतिम बार पट्टी ना खुल जाए, तब तक रोगी आंखे ना खोलने दें।
  • साथ ही जिस दिन यह किर्या की हो, पट्टी खोलने के पश्चात उस रात रोगी को सोने ना दें। परन्तु यदि बेचैनी हो तो रोगी आधा घंटा सो सकता है।
  • कृपया ध्यान रहे यह प्रयोग कुशल वैद्य द्वारा ही करवाएं। अनुचित तरह से किया गया प्रयोग नुकसान दायक हो सकता है।

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डॉक्टर से दवाई मंगवाने के लिए 9041-715-715 नंबर पर कॉल करें।