गुर्दे(किडनी) के रोगों का घरेलु उपचार!

कैसे बचाता है गोखरू कांता हमें गुर्दे के रोगों से ?

किडनी का रोग एक काफी दर्दनाक तथा कष्टदायक बीमारी है। खाने की गलत आदते, व्यस्त जीवनशैली, संक्रमित पानी और वायु प्रदुषण के कारण आजकल गुर्दे (किडनी) के रोग बढ़ने लगे हैं, जिसके इलाज के लिए डॉक्टर कई बार डायलिसिस की सलाह देते हैं और समस्या गंभीर होने पर किडनी ट्रांसप्लांट अर्थात गुर्दे बदलवाने तक की नौबत आ जाती है। हमारे शरीर में दोनों गुर्दे खून साफ़ करते हैं और शरीर को डेटोक्सीफी करते हैं, जिससे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम करते रहे। यदि किडनी को कोई इन्फेक्शन या कोई अन्य बीमारी होती है तो यह अच्छे से काम नहीं कर पाती, जिस वजह से शरीर को और भी कई बीमारिया होने की सम्भावना बढ़ जाती है। इसलिए आज हम आपको किडनी इन्फेक्शन, फेलियर और डैमेज होने के कारण, लक्षण और उपचार के घरेलु और आयुर्वेदिक उपाय बताने जा रहे हैं। इन विशेष रामबाण उपायों कों करके इस जानलेवा बीमारी से छुटकारा पा सकते सकते हैं।

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किडनी की बीमारिया होने के कारण:-

  1. कम पानी पीना
  2. कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन करना
  3. पेशाब रोकना
  4. पूरी नींद ना लेना
  5. ज्यादा नमक खाना
  6. धूम्रपान करना और शराब पीना
  7. खाने में विटामिन और मिनरल्स की कमी होना

जिन लोगो को शुगर, हाई ब्लड प्रेशर होता है और जिनके परविअर में कभी किसी का किडनी फेलियर या किडनी से जुडी कोई बीमारी हुई हो उनमे किडनी ख़राब होने की सम्भावना दुसरो से अधिक होती है.

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किडनी ख़राब होने के लक्षण:-

किडनी के रोग को पहचानने का सबसे बड़ा लक्षण है पेशाब (urine) करते समय दर्द होना या पेशाब में ब्लड आना. इसके इलावा कुछ अन्य लक्षण भी हैं, जैसे कि

  1. ठण्ड लगना
  2. भूख कम लगना
  3. शरीर में सूजन आना
  4. शरीर में थकन और कमजोरी आना
  5. पेशाब में प्रोटीन कि मात्रा अधिक होना
  6. पेशाब में जलन होना और बार-बार पेशाब आना
  7. ब्लड प्रेशर का बढ़ा रहना
  8. स्किन पर रशेस निकलना और खुजली होना
  9. मुंह का सवाद ख़राब होना और मुँह से बदबू आना
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किडनी का आयुर्वेदिक और घरेलु उपाय:-

गोखरू काँटा काढ़ा: 250 ग्राम गोखरू कांटा (आपको यह पंसारी की दुकान से मिल जाएगा) लेकर 4 लीटर पानी में उबल लें, जब यह पानी एक लीटर ही शेष रह जाए तो पानी कों छानकर एक बोतल में रख लें और गोखरू कांटा कों फेंक दें। अब आप इस काढे का सेवन सुबह-शाम खाली पेट हल्का सा गुनगुना करके 100 ग्राम के करीब करें। शाम को खाली पेट का अर्थ है, दोपहर के भोजन के 5 से 6 घंटे के बाद और साथ ही इस काढ़े का सेवन करने के 1 घंटे के पश्चात ही कुछ खाएं तथा आप रोगी की पहले की दवाई ख़ान-पान का नियमित रूप से पूर्ववत ही रखें।

ज़रूरत के अनुसार आप यह प्रयोग 1 हफ्ते से 3 महीने तक कर सकते हैं। परन्तु इसके परिणाम मात्र 15 दिन में ही दिखने लगते हैं। और यदि आपको कोई बदलाव या परिणाम ना मिले तो बिना डॉक्टर अथवा वैद की सलाह से इसको आगे ना बढ़ाएं। यदि आपको 15 दिन के अंदर रोगी के अंदर अभूतपूर्व परिवर्तन हो जाए तो डॉक्टर की सलाह लेकर दवा बंद कर दीजिए। जैसे जैसे आपके अंदर सुधार होगा काढे की मात्रा कम कर सकते है या दो बार की बजाए एक बार भी कर सकते है।