
अक्सर हमारे बार-बार अथवा अधिक कमोत्तेजित होने से हमारा शुक्राशय शिथिल हो जाता है। जिस कारण हमारा लिंग शुक्राणुओं को रोककर रख पाने में असमर्थ हो जाता है। जोकि एक पुरुष के जीवन में श्राप के समान है। इसलिए आज हम आपको एक ऐसे घरेलू उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको करने से आप इस समस्या से छुटकारा पा सकेंगे। इस घरेलू उपाय से तैयार औषधि के सेवन से आप पुरुषों तथा स्त्रियों की बहुत सी अन्य बहुत सी समस्यायों का भी समाधान का कर पाएंगे।
चलिए जानते हैं इस उपाय के बारे में !!
पिट्ठी बनाने की प्रक्रिया:-
पिट्ठी बनाने के लिए आवश्यक सामग्री:-
- जीवक – 5 ग्राम
- ऋषभक – 5 ग्राम
- मेदा – 5 ग्राम
- महामेदा – 5 ग्राम
- काकोली – 5 ग्राम
- क्षीर काकोली – 5 ग्राम
- मुनक्का – 5 ग्राम
- मुलहठी – 5 ग्राम
- मुद्गपर्णी – 5 ग्राम
- माषपर्णी – 5 ग्राम
- विदारीकन्द – 5 ग्राम
- रक्त चंदन – 5 ग्राम
पिट्ठी बनाने की विधि:-
- ऊपर बताई गई सारी सामग्री को एक साथ लेकर कूट-पीस लें।
- इसकी पानी के साथ कल्क(पिठ्ठी) बना लें।
औषधि बनाने की प्रक्रिया:-
औषधि बनाने के लिए आवश्यक सामग्री:-
- शहद – 25 ग्राम
- शकर – 25 ग्राम
- गाय के दूध का घी – 200 ग्राम
- दूध – 400 मिली ग्राम
- शतावरी का रस – 400 मिलीग्राम
- पिठ्ठी 60 ग्राम
औषधि बनाने की विधि:-
- अगर आपको हरी तथा ताज़ी शतावरी नहीं मिलती तो मिट्टी के बरतन में 600 मिली जल डाल कर शतावरी का 400 ग्राम चूर्ण डालक्र 24 घंटे तक ढँककर रखें।
- 24 घंटे के बाद इसे अच्छे से मसलकर कपड़े से छान लें और आपका शतावरी का रस तैयार है।
- अब ध्यान रहे इस ताज़े रस को 400 मिली मात्रा में ही प्रयोग करना है।
- ऊपर 12 औषधियों से तैयार पिट्ठी को दूध, घी तथा पानी सहित किसी बर्तन में डाल कर आंच पर पकाएँ।
- जब पानी व दूध जल जाए तथा सिर्फ गहि बच जाए, तब इसे आंच से उतारकर ठण्डा कर लें।
- फिर अंत में इस मिश्रण में शकर तथा शहद अच्छे से मिला कर एक समान कर लें।
- अंत में आपकी औषधि तैयार है।
सेवन की विधि:-
- इस औषधि का 1 अथवा 2 चम्मच प्रतिदिन सुबह-शाम दूध के साथ लें।
लाभ:-
- यह शतावरी घृत स्त्री-पुरुषों के लिए समान रूप से हितकारी एवं उपयोगी है।
- उत्तम पौष्टिक, बलवीर्यवर्द्धक एवं शीतवीर्य गुणयुक्त होने से पुरुषों के लिए शुक्र को गाढ़ा, शीतल एवं पुष्टि करने वाला होने से वाजीकारक और स्तम्भनशक्ति देने वाला है।
- पित्तशामक और शरीर में अतिरिक्त रूप से बढ़ी हुई गर्मी को सामान्य करने वाला है।
- स्त्रियों के लिए योनिशूल, योनिशोथ और योनि विकार नाशक, रक्तप्रदर एवं अति ऋतुस्राव को सामान्य करने वाला तथा शीतलता प्रदान करने वाला है।
- अतिरिक्त उष्णता, पित्तजन्य दाह एवं तीक्ष्णता के कारण स्त्री का योनि मार्ग दूषित हो जाता है, जिससे पुरुष के शुक्राणु गर्भाशय तक पहुँचने से पहले ही मर जाते हैं।
- इसी तरह पुरुष के शुक्र में शुक्राणु नष्ट होते रहते हैं।
- शतावरी घृत के सेवन से स्त्री-पुरुष दोनों को लाभ होता है और स्त्री गर्भ धारण करने में सक्षम हो जाती है।