घरेलु नुस्खो द्वारा छोटे बच्चों को बचाएं भयंकर बीमारियों से …जानिए कैसे

छोटे बच्चों की बीमारियां नहीं होती हैं छोटी ….जानिए इनसे बचने के घरेलु उपचार

छोटे बच्चों को बड़ी जल्दी बीमारियां घेरने लगती है। कई बार बच्चे के रोगों का पता भी नहीं चल पाता है कि वह किस समस्या से परेशान है। सामान्य परेशानियां जैसे प्रायः पेट फूलना, चुनचुने लगना, जुकाम, पेट में एठन होना मुख्य समस्याएं हैं जिनके बारे में बच्चे की मां को पता होना चाहिए। इन लक्षणों (symptoms of children’s diseases) के आधार पर पर नवजात बच्चों की बीमारी का पता लगाया जा सकता है।

क्या हैं बच्चों की बीमारियों के लक्षण

  • बीमारी के शुरूआत में शिशु में चिड़चिड़े पन के साथ रोने लगता है।
  • शिशु में बेचैनी का बढ़ना।
  • पेट में दर्द होने की वजह से जोर जोर पैर मरना
  • शिशु का सुस्त और निढाल सा होना।
  • मां की गोद में भी न आना।
  • बच्चे की त्वचा का शुष्क होना।
  • मां का दूध भी न पीना। या पीने के बाद उल्टी कर देना।
  • मल त्याग न कर पाना।
  • बच्चे के किसी भाग में दर्द होना और उस भाग का लाल और कड़ा होना तथा उसे छूने पर बच्चे का रोना।
कैसे पहचाने बच्चों की निम्न बीमारी

कब्ज से कैसे बचाएं
पहचान :- शिशु को समय पर शैच का न आना। मल का सख्त और उसका कठिनता से निकलना।

कारण :- शिशु का दूध अधिक पीना या कम पीने की वजह से कब्ज होती है। पेट में विकार होने से भी कब्ज हो सकती है।

घरेलु इलाज

  • शिशु को गुनगुना जल पीलाएं।
  • उपर के दूध में छुआरा या मुनक्का उबाल कर बच्चे को दे सकते हो।
  • देशी जन्म घुटी बच्चे को देनी चाहिए।
  • शिुशु को पालक का साग मसलकर खिलाना चाहिए।

दस्त से कैसे बचाएं
बच्चों को दस्त संबंधी रोग सबसे अधिक होते हैं। एैसी अवस्था में बच्चे को दूध भी नहीं पच पाता है। बच्चों के दस्त दो प्रकार के होते हैं।

पहले प्रकार :-इस प्रकार के दस्त में बच्चे को शैच में ही सफेद रंग की बुंदकिया होती है। कभी शैच राख के रंग की तरह होता है।

कारण :- दूध अधिक मात्रा में पी जाना। दूध में चिकनाई का अधिक होना।

घरेलु उपचार

  • एैसे में दूध की मात्रा कम कर दें।
  • दूध में थोड़ा पानी मिलाकर दूध को हल्का कर देना चाहिए।

दूसरा प्रकार :- दस्तों का झागदार होना।

कारण :- दूध में चीनी अधिक डालना।

घरेलु उपचार

  • दूध में उबला पानी मिलाकर शिशु को पिलाना चाहिए।

पेट में पीड़ा होना
लक्षण :- पेट का फूल जाना। पेट में पीड़ा या शूल रहना।

कारण :- दूध में शक्कर या प्रोटीन की ज्यादा मात्रा होना इस रोग का कारण बनती है।

घरेलु इलाज

  • शिशु को बकरी का दूध का सेवन कराएं।
  • शिशु के पेट की सिकाई करें।
  • शिशु को दूध में शक्कर डालकर देना चाहिए।
  • शिशु को दूध में पानी मिलाकर देना चाहिए।

ऐठन होना
लक्षण :- ऐठन होने पर शिशु का चेहरा पीला पड़ जाता है। और शिशु की मांसपेशियों में खिंचाव आने लगता है।

उपचार

  • शिशु को दूसरे बच्चों से दूर रखें।
  • शिशु के कपड़ों को ढीला कर लें।
  • शिशु को ठंड से बचायें।

सूखा रोग
इस रोग में शिशु पीला पड़ जाता है। और उसकी त्वचा पर झुर्रियां या सिकुड़ने आदि पड़ने लगती है। सूखा रोग में  शिशु का वजन कम हो जाता है साथ ही वह हड्डियों का ढांचा मात्र लगने लगता हैं। शिशु के स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगता है। इसका सबसे बड़ा कारण है विटामिन सी की शरीर में कमी। इस रोग से बचाव में शिशु का विटामिन सी वाले पदार्थ देते रहना चाहिए।

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