
सावधान, अगर आप अपने तकिये के पास मोबाइल रखकर सोते हैं या फिर रात को भी मोबाइल पर बातें करते हैं तो ऐसा करना बिल्कुल बंद कर दें, यह आपको रोगी बना सकता है। इससे कानों पर असर पड़ सकता है।
रात के समय बिस्तर पर सोते समय फोन की स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी शरीर की सिरकेडियन रिदम को प्रभावित करती है, इससे ऐसे हार्मोन स्त्रावित होते हैं जिससे सतर्कता बनी रहती है और नींद खराब होती है। बिस्तर के बगल में फोन रख कर सोने फोन की रिंग टोन और वाइब्रेशन से नींद टूट सकती है।
कई शोध कहते हैं कि फोन से निकलने वाला रेडिऐशन शरीर पर नकारात्मक असर डालता है। 2013 का शोध कहता है कि फोन से प्रयोग से रक्त चाप बढ़ जाता है। ऐसे में दिल की कई बीमारियां घेर लेती है।फोन के एल्कोट्रोमैग्नेट किरणें कई खतरों को बुलावा देती है। स्वीडन में हुए एक शोध के मुताबिक तनाव का भी कारण बनता है।
खासतौर से महिलाओं में ये तनाव का प्रमुख कारण है। फोन के लगातार प्रयोग से आंखों पर भी उल्टा प्रभाव पड़ रहा है। फोन की स्क्रीन कम्प्यूटर की स्क्रीन से छोटी होती है जिसकी वजह से मैसेज पढऩे के लिए आंखों पर ज्यादा जोर देना पड़ता है। मोबाइल फोन से एक सामान्य व्यक्ति की फोकस करने की जो क्षमता होती है उसे प्रभावित करता है।जिस वजह से कई देशों में ड्राइविंग करते वक्त इसका प्रयोग पूरी तरह से निषेध है। फोन की वजह से किसी भी काम को करने में जरुरत से ज्यादा समय लगता है। बहुत देर तक फोन पर बात करना खतरनाक हो सकता है। ये सुनने की क्षमता पर सीधे असर डालता है।