
आज हम आप को एक ऐसे उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं, जोकि किडनी के रोगियों के लिए रामबाण के समान है। इसके उपयोग से किडनी संबंधित अनेकों रोगों से छुटकारा मिल जाता है। किडनी में पत्थरी, दर्द, पेशाब बंद होना ईत्यादि वृक संबंधित बिमारियों के लिए यह उपाय संजीवनी है। मात्र दो बार सेवन से ही लाभ हो जाता है। किडनी रोगी को अक्सर किडनी के स्थान से दर्द शुरू हो कर पीठ की तरफ या अंडकोष की तरफ निकलनी शुरू हो जाती है।
चलिए जानते हैं इस उपाय के बारे में !!
आवश्यक सामग्री:-
- कलमी शोरा – 10 ग्राम
- दूब(हरी घास) की हरी पत्तियाँ – 50 ग्राम (दूब घास वही होती है जिसको अक्सर हिन्दू धार्मिक कार्यो में प्रयोग में लाया जाता है। यह बहुत ही सरलता से घरों के आस पास लगी हुयी मिल जाती है। इसको देसी घास भी कहते हैं)
बनाने की विधि:-
- ऊपर बताई गई सारी समाग्री को मिटटी के बर्तन में 1 किलो पानी में डाल लें।
- अब इस पानी को आधा पानी रह जाने तक उबालें।
- ध्यान रखें कि बर्तन का मुख ऊपर से बंद हो।
- इसके उपरांत इस पानी को अच्छे से मलकर कपडे से छान लें।
- फिर पुनः इस पानी को कलईदार डेगची में डाल कर सारा पानी जल जाने तक पकाएं।
- सारे पानी के जल जाने पर नीचे नमक सा बच जाएगा, तो आग बंद कर दें।
- अंत में इस नमक को बारीक पीस कर शीशी में डालकर रख लें।
सेवन की विधि:-
- आवश्यकता के समय दो रत्ती औषधि सौंफ के 60 ग्राम अर्क के साथ दिया करें। रत्ती = 0.12 ग्राम अर्थात 1 ग्राम का लगभग दसवां हिस्सा।
- 3-4 दिनों में वृक्क तथा मूत्राशय के रोगों में प्रायः आराम मिलने लगेगा।
विशेष:-
- यदि रोगी को कब्ज हो शौच खुलकर ना आता हो, तो पहले कब्ज नाशक औषधि दें।
- दवा लेने से पहले पेट बिलकुल साफ़ कर लें।
- इसके लिए रात को सोते समय 1 गिलास गर्म दूध में 1 चम्मच अरंडी का तेल डालकर पीएँ।
- इसके साथ 1 चम्मच इसबगोल का सेवन करें।
नोट:- उपरोक्त प्रयोग किसी जानकार की देखरेख में करें या किसी वैद्य से जरूर संपर्क में रहें वैसे तो इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है फिर भी आप इसको करने से पहले अपने डॉक्टर या वैध से संपर्क जरुर करें धन्यवाद।