
उच्च रक्तचाप आज के समय में लोगो के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है।इस की वजह से ही लोगो को ह्रदय घात (heart attack)होने की संख्या भी बहुत ही बढ़ गई है।हमने पहले भी बहुत से घरेलु आयुर्वेदिक इलाज बताए हैं। लेकिन कुछ लोग मात्र नुस्खा पढ़कर भूल जाते हैं या आजमाने में संकोच करते हैं।लेकिन आज जो नुस्खे हम आपको इस लेख में बता रहे हैं वे लेखक द्वारा हजारो रोगियों पर सफलता पूर्वक आजमाए गयें हैं।
चलिए जानते हैं इस उपाय के बारे में!!
आवश्यक सामग्री:-
- मिश्री – 2 किलो
- गिलोय का रस – 500 ग्राम
- ताज़े आंवलों का रस – 50 ग्राम
- अनार का रस – 500 ग्राम
- इलायची चूर्ण – 30 ग्राम
- शंख भस्म – 30 ग्राम
- प्रवाल पिष्टी – 20 ग्राम
- मुक्ता-पिष्टी – 10 ग्राम
बनाने की विधि:-
- सर्वप्रथम मिश्री का एक तार की चासनी बना लें।
- अब इसमें सभी रस डाल दें।
- फिर इस मिश्रण में मुक्तापिष्टी, शंख भस्म, प्रवालपिष्टी तथा इलायची चूर्ण मिला दें।
सेवन की विधि:-
- प्रतिदिन सुबह-शाम 1-1 चम्मच इस मिश्रण का सेवन करें।
- यह उपाय बहुत से रोगियों द्वारा परखा तथा सही पाया गया है।
अन्य सहायक उपाय:-
- लौकी का सूप बना कर सेवन करना अत्यंत लाभकारी है ।
- रक्तचाप नियंत्रण के लिए शवासन करना अत्यंत लाभकारी है ।
- बादाम रोगन तेल की 5 बूँदों को उच्च रक्तचाप के मरीज़ की नाक में रात को सोते समय रोज़ाना डालें। यह उच्च रक्तचाप के साथ सिर के अनेक रोग नष्ट करता है ।
- रात्रि के समय 8 -10 रूद्राक्ष के दाने तांबे के बर्तन में 250 ग्राम जल में डालकर रखें। रोज़ाना सुबह सूरज निकलने से पूर्व इसका उषापान करें। तीन मास बाद रूद्राक्ष के दाने बदल लें।