
तोरई की खेती भारत के लगभग हरेक स्थान पर की जाती है। यह एक किसम की सब्ज़ी होती है। इसमें उपस्थित पोषक तत्वों के आधार पर, तोरई की तुलना नेनुआ से की जा सकती है। बारिश के मौसम में तोरई की सब्ज़ी का उपयोग भोजन में ज़्यादा किया जाता है। तोरई मीठी तथा कड़वी दो प्रकार की होती है। यह बहुत प्रकार के गुणों से भरपूर होती है। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं, तोरई के कुछ ऐसे फायदे जो आप शायद ही जानते हों।
चलिए जानते हैं तोरई के अद्भुत फायदे
1. गठिया (घुटनों के दर्द में) रोग:-
तोरई, मेथी, पालक, टिण्डा, परवल आदि सब्जियों का सेवन करने से घुटने के दर्द में राहत मिलती है।
2. फोड़े की गांठ:-
तोरई की जड़ को ठंडे पानी में घिसकर फोड़ें की गांठ पर लगाएं। इससे 1 दिन में फोड़ें की गांठ खत्म होने लगती है।
3. पथरी:-
तोरई की बेल को गाय के दूध अथवा ठण्डे पानी में घिसकर रोज़ाना सुबह के समय में 3 दिन तक पीने से आपकी पथरी गल कर ख़त्म होने लगेगी।
4. बालों को काला करना:-
- तुरई के टुकड़ों को छाया में सुखाकर कूट लें।
- इसके उपरांत इसको नारियल के तेल में मिलाकर 4 दिन तक रखें।
- फिर इसको उबालें तथा छानकर बोतल में भर लें।
- इस तेल को बालों पर लगा कर, इससे सिर की मालिश करें। इससे बाल काले हो जाएंगे।
5. आंखों के रोहे तथा फूले:-
आंखों में रोहे(पोथकी) हो जाने पर तोरई(झिगनी) के ताज़े पत्तों का रस को निकाल कर रोज़ाना 2-3 बूंदें दिन में 3 से 4 बार आंखों में डालने से लाभ होता है।
6. बवासीर(अर्श):-
तोरई की सब्ज़ी खाने से कब्ज़ ठीक होती है तथा बवासीर में आराम पहुँचता है।
- कड़वी तोरई को उबाल कर उसके पानी में बैंगन को पका लें।
- बैंगन को घी में भूनकर गुड़ के साथ भर पेट खाने से दर्द तथा पीड़ा युक्त मस्से झड़ जाते हैं।
कृपया इन बातों का ध्यान रखें
- तोरई पचने में भारी तथा आमकारक है। वर्षा ऋतु में तोरई का साग रोगी व्यक्तियों के लिए लाभकारी नहीं होता है।
- तोरई कफ तथा वात उत्पन्न करने वाली सब्ज़ी होती है। इसलिए जरूरत से अधिक इसका सेवन करना हानिकारक हो सकता है।