
विटामिन A–
यह हमारे इम्यून सिस्टम के लिए जरूरी एंटीआक्सीडेंट है। हमारी आंखों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए इसमें बीटा कैरोटीन होता है जिससे आंखों के कॉर्निया व झिल्लियों से जुड़ी समस्या दूर होती है। कमी: आंखों की कमजोरी से कम दिखना या नाइट ब्लाइंडनेस जैसी समस्याएं होती हैं। पूर्ति: गाजर, मिर्च, शकरकंद, आलू व मौसमी से।
विटामिन बी 1–
यह कई न्यूरोट्रांसमीटर्स व एंजाइम्स प्रोसेसिंग में मदद करता है। इसे थाईमाइन तत्त्व भी कहते हैं। कमी: पाचनतंत्र कार्बोहाइड्रेट को नहीं पचा पाता और ऊर्जा कम मिलती है। तंत्रिका तंत्र कमजोर हो जाता है। पूर्ति: मटर, सोयाबीन, ओटमील, दालें, सूरजमुखी के बीज, फूलगोभी, आलू और संतरा।
विटामिन बी 9–
इसे फॉलिक एसिड भी कहते हैं जो गर्भस्थ शिशु के विकास और हृदय की सेहत के लिए जरूरी है। इसकी कमी से गर्भावस्था में न्यूरल ट्यूब में खराबी हो सकती है। लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण कम हो जाता है। पूर्ति: हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, टमाटर, फॉर्टीफाइड अनाज जैसे दालें, बाजरा, गेहूं और फलियां।
विटामिन बी 12–
यह डीएनए के निर्माण और किसी भी प्रकार के घाव को भरने में मदद करता है। नर्वस सिस्टम को मजबूत कर हृदय रोगों से भी बचाता है। इसकी कमी से शारीरिक कमजोरी और न्यूरोलॉजिकल समस्या। पूर्ति: दूध, छाछ, दही, पनीर जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स।
विटामिन डी–
हड्डियों व दांतों की मजबूती और सेहत के लिए यह आवश्यक है। यह इम्यून सिस्टम और मसल्स को मजबूत करता है। इसकी कमी से हड्डियों और मांसपेशियों के कमजोर होने का डर रहता है और जोड़ों में दर्द रहता है। शारीरिक संरचना में विकार हो सकता है। पूर्ति: मशरूम, बादाम, फोर्टीफाइड अनाज दूध, पनीर, छाछ और दही। खानपान के अलावा सूर्य की रोशनी से भी हमें विटामिन-डी मिलता है।
विटामिन ई–
यह बेहद शक्तिशाली एंटीआक्सीडेंट है जो हृदय की कार्यक्षमता सुधारकर त्वचा को जवां बनाए रखता है। इसकी कमी से मांसपेशियों में कमजोरी, नसों की क्षति और आंखों की रोशनी प्रभावित होती है। पूर्ति: लौंग, नट्स, खीरा, प्याज, ऑलिव ऑयल, रसबैरी, साबुत अनाज, टमाटर और आम।