सुनने की क्षमता कम होने के लक्षण एवं उपचार !!

कान हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंग हैं। तेज़ आवाज के बीच अधिक समय बीताना ना सिर्फ कानों के लिए नुकसानदेह होता है, बल्कि सुनने की क्षमता पर भी असर डालता है। लम्बे समय तक तीव्र तथा ऊँची ध्वनि वाले स्थान पर काम करने वाले लोगों को सुनने की क्षमता कम होने की समस्या होती है, जैसे कार मैकेनिक, फैक्ट्री में काम करने वाले, मजदूर इत्यादि की सुनने की क्षमता जल्दी घट जाती है। इसके अतिरिक्त बढ़ती उम्र के कारण भी सुनने की क्षमता कम होती जाती है। कुछ परिस्थितियों में यह परेशानी जन्मजात, किसी रोग अथवा किसी दवा के हानिकारक प्रभाव के कारण भी हो सकती है।

सुनने की क्षमता में कमी के लक्षण:-

सुनने की क्षमता में कमी आने के शुरुआती लक्षण बहुत साफ नहीं होते , लेकिन यहां ध्यान देने की बात यह है कि सुनने की क्षमता में आई कमी वक्त के साथ धीरे-धीरे और कम होती जाती है। ऐसे में जितना जल्दी हो सके , इसका इलाज करा लेना चाहिए। नीचे दिए गए लक्षण हैं तो डॉक्टर से मिलना चाहिए।

  • नवजात बच्चे का आवाज न सुन पाना।
  • प्राकृतिक आवाजों को न सुन पाना जैसे बारिश या पक्षियों के चहचहाने की आवाज।
  • बाकी लोगों के मुकाबले ज्यादा तेज आवाज में टीवी या म्यूजिक सुनना।
  • फोन पर सुनने में दिक्कत होना।
  • बातचीत में बार-बार लोगों से पूछना कि उन्होंने क्या कहा।
  • सामान्य बातचीत सुनने में दिक्कत होना, खासकर अगर शोर-शराबे वाली जगह पर।

इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको करने से आप इस समस्या पर काबू पा सकेंगे।

चलिए जानते हैं इन उपयों के बारे में !!

सुनने की क्षमता में कमी के उपचार:-

  • चेकअप के लिए अगर आप ईएनटी विशेषज्ञ के पास जा रहे हैं तो वह आपके कान के पर्दे आदि की जांच करेगा , लेकिन कान की संवेदनशीलता और उसके सुनने के टेस्ट के लिए ऑडियॉलजिस्ट के पास भी जा सकते हैं।
  • 50 साल की उम्र के आसपास कान की नसें कमजोर होने की शिकायत हो सकती है , इसलिए 50 साल के बाद साल में एक बार कानों का चेकअप करा लें।
  • कान की कोई समस्या यदि नहीं है और सुनाई ठीक देता है, तो आंखों के समान कानों की नियमित जांच की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि कुछ डॉक्टरों का यह भी मानना है कि अगर आपकी उम्र 30 से 45 साल के बीच है और आपको लगता है कि आपकी सुनने की क्षमता ठीक है , तो भी दो साल में एक बार कानों का चेकअप करा लें।
  • नर्व्स में आई किसी कमी की वजह से सुनने की क्षमता में कमी आई तो जो नुकसान नर्व्स का हो गया है, उसे किसी भी तरह वापस नहीं लाया जा सकता। ऐसे में एक ही तरीका है कि हियरिंग एड का इस्तेमाल किया जाए। हियरिंग एड फौरन राहत देता है और दिक्कत को आगे बढ़ने से भी रोकता है। ऐसी हालत में हियरिंग एड का इस्तेमाल नहीं करते , तो कानों की नर्व्स पर तनाव बढ़ता है और समस्या बढ़ती जाती है।
  • अगर पर्दा डैमेज हो गया है , तो सर्जरी करनी पड़ती है। कई बार पर्दा खराब होने का इलाज भी दवाओं से ही हो जाता है।
  • यदि इन्फेक्शन की वजह से सुनने की क्षमता में कमी आई है, तो इसे दवाओं से ठीक किया जा सकता है।

सावधानियाँ:-

  • संगीत या मोबाइल सुनने के लिए ईयरबड्स भी आती हैं और हेडफोंस भी। ईयर बड्स कान के अंदर कैनाल में घुसाकर लगाए जाते हैं , जबकि हेडफोन कान के बाहर लगते हैं। ईयर बड्स की तुलना में हेडफोन बेहतर है।
  • संगीत सुनते वक्त वॉल्यूम हमेशा मीडियम या लो लेवल पर रखें , लेकिन कई बार बाहर के शोर की वजह से आवाज तेज करनी पड़ती है। तेज आवाज में सुनने से कानों को नुकसान हो सकता है इसलिए शोरगुल वाली जगहों के लिए शोर को खत्म करने वाले ईयरफोन का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन आवाज कम ही रखें।
  • हेडफोन या ईयरबड्स की मदद से जरूरत-से-ज्यादा आवाज पर और लगातार लंबे वक्त तक सुनना हमारी सुनने की क्षमता को बिगाड़ सकता है।
  • 90 डेसिबल से कम आवाज कानों के लिए ठीक है। 90 या इससे ज्यादा डेसिबल की आवाज कानों के लिए नुकसानदायक होती है।
  • अगर शोरगुल वाली जगह मसलन फैक्ट्री आदि में काम करते हैं तो कानों के लिए प्रोटेक्शन जरूर लें। ईयर प्लग लगा सकते हैं।
  • पैदा होते ही बच्चे के कानों का टेस्ट कराएं। 45 साल की उम्र के बाद कानों का रेग्युलर चेकअप कराते रहें।

डॉक्टर से दवाई मंगवाने के लिए 9041-715-715 नंबर पर कॉल करें।