
कपालभाती प्राणायाम को हठयोग में शामिल किया गया है। प्राणायामों में यह सबसे अधिक कारगर प्राणायाम माना जाता है। यह तीव्रता से की जाने वाली रोचक प्रक्रिया है। कपालभाती तथा भस्त्रिका प्राणायाम में अधिक अंतर नहीं है। भस्त्रिका में श्वांस लेना तथा छोड़ना तीव्रता से जारी रहता है। जबकि कपालभाती में सिर्फ श्वास को छोड़ने पर ही ज़ोर रहता है। कपालभाती प्राणायाम एक शारीरिक तथा सांस लेने की प्रक्रिया है। जो हमारे दिमाग के लिए लाभदायक है। इससे शरीर के सभी नकारात्मक तत्व निकल जाते हैं। कपालभाती प्राणायाम शरीर तथा मन दोनों को शुद्ध कर सकता है।
चलिए जानते हैं इस योग के बारे में!!
प्राणायाम करने की विधि:-
- सर्व प्रथम अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधे रखें तथा अपने पैरों को अपने सामने मोड़ कर विश्राम आसान में बैठें।
- अब एक लंबी सांस लें तथा एक दम से सांस छोड़ें।
- आपको सांस लेने के स्थान पर सांस छोड़ने पर अधिक ध्यान देना है।
- जब आप सांस छोड़ें तो आपके पेट की अंतड़ियाँ नीचे चली जानी चाहिए तथा सांस लेने पर यह ऊपर आ जानी चाहिए।
- इसे एक बार में 10 बार ही करें।
- फिर थोड़े समय के लिए विश्राम करें तथा ऐसे ही 2 बार और करें।
ध्यान रखने योग्य बातें:-
- प्राणायाम को अधिक गति से नहीं करना चाहिए। इसे धीरे-धीरे करें तथा इसकी गति धीरे-धीरे बढ़ाएं।
- कपालभाती करते समय यदि थकान तथा चक्कर आना महसूस हो, तो थोड़े समय के लिए रुक जाए।
- यह प्राणायाम खाली पेट ही करना चाहिए।
- शाम के समय इस प्राणायाम को ना करें।
- उच्च रक्तचाप के रोगों को भी यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- इसे किसी विशेषज्ञ की देख-रेख में ही करें, ताकि आप इस प्राणायाम को गलत ना करें।
प्राणायाम करने के लाभ:-
- कपालभाती खून का प्रवाह शरीर के निचले अंगो में बढ़ाता है। जिससे शरीर के निचले भाग सही प्रकार से कार्य करते हैं।
- इस प्राणायाम से फेफड़ों की कार्य करने की क्षमता बढती है। जिस कारण श्वसन प्रणाली अच्छी तरह से काम करती है।
- इससे शरीर को अधिक ऑक्सीजन मिलती है और ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने से आपकी कार्यक्षमता भी बढती है।
- इस प्राणायाम से एकाग्रता बढ़ती है और कुडलीयाँ जागृत होती है।
- कपालभाति प्राणायाम करने से डायाफ्राम भी ताकतवर तथा लचीला बनता है। जिससे हर्निया होने की संभावना कम हो जाती है।
- इससे श्वसन प्रणाली शुद्ध होती है तथा किसी भी प्रकार की एलर्जी या संक्रमण दूर होता है। क्योंकि कपालभाती में जोर से सांस बाहर छोड़ते है। जिससे फेफड़ो के संक्रमण या एलर्जिक तत्व बाहर हो जाते है।
- कुछ लोग कपालभाती वज़न कम करने के लिए करते है। क्योंकि इसे करते समय श्वसन प्रणाली तथा पेट की अतडिया हरकत में आती हैं। जिससे पेट की चर्बि कम होती है।
कपालभाती के प्रभाव
कपालभाती शरीर और दिमाग दोंनो को बढ़ाता है पर यह सभी के साथ नही होता है. सभी रोगों में कपालभाती नही किया जा सकता है। इसलिए किसी तरह की बीमारी हो तो चिकित्सक की सलाह ले कर ही करे जैसे की रीड, हरनिया, दिल से संबधीत बीमारी वालों ने इस प्राणायाम को नही करना चाहिए। श्वसन प्रणाली और सर्दी व नाक से संबधीत रोगों में भी इसे न करें।
जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) व डायबिटीज(Diabetes)वालों को डॉक्टर सलाह देता है कि वे कपालभाती का त्याग करे. जिन्हें पेट में अलसर है वे इसे ना करे. इसलिए इसे डॉक्टर सलाह अथवा किसी योग गुरु की सलाह से ही करे.
- इस प्राणायाम से तेज़ी से सांस छोड़ने के कारण सिरदर्द व चक्कर आना महसूस हो सकता है।
- इस प्राणायाम को ज्यादा करने से हाईपर टेंशन, दिल की बीमारियाँ और हर्निया जैसी बीमारियाँ हो सकती है।