जानें अंत्रवृद्धि या हार्निया के कारण, लक्षण तथा उपचार

क्या है अंत्रवृद्धि(हर्निया-आंत उतारना):-

पेट की दीवार की दुर्बलता अंत्रवृद्धि अथवा हर्निया की बीमारी होती है। यदि हम आम भाषा में कहें तो पेट के किसी भाग में पैदा हुए उभार को हर्निया कहा जाता हैं। इसे आंत उतरने की संघ्या भी दी जाती है। हालाँकि व्यक्ति के लेटने पर यह उभार गायब हो जाता है। माहिरों का कहना है कि यह बीमारी अधिकतर पुरषों में पाई जाती है। इसलिए आज हम आपको इस बीमारी के लक्षण, कारणों तथा इसके उपाय के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

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चलिए जानते हैं हर्निया के बारे में कुछ विस्तार से

लोगों में दर्जनों प्रकार क्र हर्निया पाए जाते हैं, परन्तु छोटी आंत के कारण पैदा होने वाले हर्निया इस प्रकार हैं:-

  • इंग्वाइनल
  • नाभिगत (अमबलाइकल)
  • उदरगत
  • पुराने शल्यक्रिया के घाव वाले स्थान पर (इंसीजनल)
  • मलद्वारगत

हर्निया के लक्षण:-

  1. पुरुषों के अंडकोष में जल अथवा जल भराव जैसा महसूस होना। बता दें कि यह लक्षण लेटने से ख़त्म जाता है।
  2. नाभि क्षेत्र में उभार महसूस होना अथवा इसका किसी भी प्रकार से फूलना।
  3. पेट में दर्द होना। यह दर्द निरंतर या कभी-कभी हो सकता हैं।

हर्निया के कारण:-

  1. मोटापा होना
  2. कब्ज़ से लंबे समय तक पीड़ित रहना
  3. निरंतर काफी समय तक खड़े रहना(जैसे बस कंडक्टर, अध्यापक, सुपरवीज़र तथा सेल्समैन आदि जैसे काम करने वाले व्यक्ति)।
  4. जन्म के समय से पूर्व पैदा होने वाले बच्चों कोयह बीमारी अधिक होती है।
  5. कुपोषण, श्रमिक अथवा ज़्यादा वज़न उठाने के कारण।
  6. खांसी से ज़ायदा समय तक पीड़ित रहना।
  7. ज़यादा उम्र होने के कारण।

हर्निया का घरेलु उपचार:-

  • चुम्बकीय पट्टा(मैगनेट बेल्ट)>>  हार्निया होने पर चुमबक की बेल्ट बाँधने से फायदा होता है।
  • त्रिफला>> १ चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ करने के बाद ही सोएं।
  • रोज़ाना सुबह खाली पेट 10 ग्राम अदरक का मुरब्बे का सेवन करने से हर्निया के रोग से छुटकारा मिलता है। १-2 महीने सेवन करें आपको निश्चित लाभ मिलेगा।
  • अरण्ड का तेल>> यदि रोगी को अपने अंडकोष में हवा का भरा होना महसूस होता हो, तो रोगी को 1 कप दूध में २ चम्मच अरण्ड का तेल डालकर एक महीने तक पिलाएँ तथा छोटी हरड़ का 1 से 5 ग्राम चूर्ण में 1 से 10 मिलिग्राम अरण्डी के तेल मिला कर रोगी को दें। इससे रोगी का हर्निया अवश्य ठीक होगा।
  • नारायण तेल>> 1 से 3 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ नारायण तेल पीना चाहिए तथा इसके साथ मालिश भी करनी चाहिए।
  • कदम्ब के पत्ते पर घी लगा लें तथा इसे आग पर हल्का सा सेंक लें। नए रोग में इसे अंडकोष पर लपेट दें और लंगोट से बाँध लें।
  • कॉफ़ी>> अधिक कॉफ़ी पीना भी इस रोग में काफी लाभकारी होता है।
  • चुम्बकीय चिकित्सा भी इस बीमारी के लिए फायदेमंद है। इसके लिए आप चिकित्सक से परामर्श कर सकते हैं।

हर्निया में ध्यान रखने योग्य बातें:-

  1. पेट में कब्ज़ न रहने दें।
  2. शरीर का वज़न ना बढ़ने दें।
  3. अपनी क्षमता से ज़्यादा वज़न बिलकुल ना उठाएँ।
  4. खांसी को बढ़ने नहीं दें एवं आयुर्वेदिक तरिके से समय पर ही इसका इलाज करवाएँ।
  5. अपने मोटापे पर काबू पाएं।
  6. चीरे वाले ऑपरेशन करवाने के बाद पर्याप्त आराम करें।
  7. मल त्याग करते समय ज़ोर ना लगाएँ।
  8. सदैव कसे हुए अंडरवियर अथवा लंगोट ही पहनें।

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